पोस्ट्स

जानेवारी, २०२१ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

श्री हनुमान चालीसा

इमेज
  दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।  बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।  चौपाई :   जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।   रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।   महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।   कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।।   हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।   संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।।   विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।   प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।   सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।   भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।   लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।   रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।   सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।   सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। न...

श्रीरामाची आरती - ऐक बा रामराया...

ऐक   बा   रामराया ,  तुझ्या   मी   वंदितो   पाया   आवरी   आपुली   ही ,  विश्वमोहिनी   माया ऐक   बा   रामराया   ।।धृ।।   मी   मूढ   हीनदीन ,  सर्व   सक्रिया   हिन तू   क्षमाशील   देवा   शुद्धचरित   निजधीन ऐक   बा   रामराया   ।।१।।   घडो   सदा   साधू   संग ,  नसो   विषय   प्रसंग सप्रेम   भक्ती   द्यावी ,  सत्व   वैराग्य   अभंग ऐक   बा   रामराया   ।।२।।   वाटते   नेते   भावे   तुझे   साधू   गुणगावे   मन   हे   आवरेना   सांग   काय   म्या   करावे   ऐक   बा   रामराया   ।।३।।   करिता   संसार   काम ,  मुखी   असो   तुझे   नाम   दया   घना   भक्त   मोरयाचा   पूरविसी   काम ऐक   बा   रामराया   ।।४।।

आरती कीजै हनुमान लला की - हनुमानजी आरती

इमेज
  ||  आरती कीजै हनुमान लला की..|| आरती कीजै हनुमान लला की।  दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।। अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए। लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई। लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे। पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े। बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे। कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई। लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई। जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै। आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||